सूक्ष्म सिंचाई / Micro Irrigation
Part 2
2015 में मैं इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी से जुडी और इस विषय में पढ़ाना शुरू किया और इन 7 सालों में हजारो किसानो को और उनकी खेती से जुडी परेशानियों को जाना और समझा । इससे एक बात तो स्पष्ट हुई की हमें सूक्ष्म सिंचाई / Micro Irrigation की जरुरत बहुत ज्यादा है । अगर अब हम नहीं समझे तो सायद बहुत देर हो जाये । अपनी पढ़ाई और इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी में पढ़ाने के दौरान इस विषय को लेकर जो सीखा वो ये है सूक्ष्म सिंचाई एक ऐसी नवीनतम तकनीक है जो हमें पानी का सही उपयोग करने में मदद करती है।
मैं तो इस विषय की पढ़ाई कर रही थी शायद इसी लिए मेरे लिए ये विषय पहले से ही इतना महत्वपूर्ण रहा पर आज भी मैं जब ट्रैन से सफर करते हुए दिल्ली से अपने घर देहरादून जाती हूँ तो 300KM के सफर में मुझे लगभग 150KM खेत ही दीखते हैं पर कही भी माइक्रो इरीगेशन का कोई भी प्रकार लगा हुआ नहीं दिखता इसकी पहली वजह तो ये है की नार्थ-ईस्ट में अभी भी पानी की कमी उतनी नहीं आई है जितनी साउथ और वेस्ट में है, तभी यहां लोग नयी पानी की तकनीकों के प्रति इतने जागरूक नहीं हैं। पर पानी का स्तर जिस तेजी से घटता जा रहा है उसे देखते हुए जल्दी ही यहां भी पानी की तिल्लात शुरू हो जाएगी तो हमें अभी से इसके लिए तैयार रहना होगा ताकि भविष्य में हम इस समस्या से निपट सकें।
इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी वर्षों से इस विषय के महत्व को समझते हुए इस विषय में किसानों और नौजवानो को प्रसिक्षण देते आ रहा हैं, ताकि सभी इसे तकनिकी बारीकियों के साथ समझे और उपयोग में लायें।
हमारे यहाँ जो किसान प्रसिक्षण लेने आते हैं वो तीन तरह के होते हैं एक वो जो इस विषय के बारे में कुछ भी नहीं जानते, दूसरे वो जो जानते तो हैं पर इसे गंभीरता से ना लेते हुए इसे उपयोग में नहीं लाते हैं और तीसरे वो जो उपयोग में लाते है, उपयोग में लाने वालो में से भी कुछ ऐसे होते हैं जो सिस्टम को समझते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो सिस्टम का उपयोग तो कर रहे हैं पर उन्हें कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से जो सिस्टम दस साल तक अच्छी तरह से काम कर सकता था वो 2-3 साल में ही ख़राब हो जाता है।
इस विषय से सम्बंदित सभी प्रकार की समस्याओं के बहुत ही आसान से समाधान हैं बस इसकी बारीकियों को समझे, सूक्ष्म सिंचाई क्या है ये सबसे पहले समझने की जरुरत है, फिर इसे कैसे उपयोग में लाया जाता है, साथ ही उपयोग करते समय क्या क्या कठनाइयां आती हैं और उन्हें कैसे ठीक किया जाता है ये भी हमें सिखने की जरुरत है। पहले मेरे लिए भी ये विषय नया ही था पर जब इसके बारे में जाना तो एक बात तो समझ आ गयी थी की ये कोई मामूली विषय नहीं है , ये वो प्राणकी हे जो हमारे भविष्य में होने वाली पानी और बागवानी से जुडी परेशानियों को काम करेगी । आज नहीं तो कल हमें इस प्रणली को अपनाना ही होगा । वो संत कबीर जी कहते हैं ना की ” काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब। ” इस विषय को मैं अपने अनुभवों को आपके साथ आगे भी साझा करुँगी और बताउंगी की सूक्ष्म सिंचाई की क्या विशेस्ताएं हैं और हमरे लिए वो कैसे उपयोगी हैं ।
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